देह से बाहर भी रहती है वह
कमीज के बटनों में सजती है
दरवाजे की भीतर लगी कुण्डी में रात खिलती है
पानी के ठन्डे गिलास की सिहरन में कांपती है
फेरीवाले की आवाज की लय में डोलती है
अदरक की चाय की भाप में उड़ती हुई
बंध जाती है स्कूल जाते बच्चे के जूते के फीते में
दफ्टर भागते आदमी की व्यग्रता है वो
पीछे से दौड़कर टिफिन पकड़ाती आपाधापी भी वही है
ऐसी ऐसी जगहों पर बिखरी रहती है कि पता भी न चले
लगता है कि कभी भीतर है वो अपने
तब भी कहीं और ही होती है
रात खाने की सब्जियां चुनती
बच्चे को पिकनिक जाने देने के बारे में
पति से करने वाली बात की झिझक में होती है
बिटिया के लिए नई फ्राक की बात उठाने के बाद वाली झिड़की
और उसकी सहम में होती है कभी
पति की उपेक्षा में होती है
सिर्फ लगता है कि भीतर है वो
ज्यादातर तो देह के बाहर ही रहती है वह
कमीज के बटनों में सजती है
दरवाजे की भीतर लगी कुण्डी में रात खिलती है
पानी के ठन्डे गिलास की सिहरन में कांपती है
फेरीवाले की आवाज की लय में डोलती है
अदरक की चाय की भाप में उड़ती हुई
बंध जाती है स्कूल जाते बच्चे के जूते के फीते में
दफ्टर भागते आदमी की व्यग्रता है वो
पीछे से दौड़कर टिफिन पकड़ाती आपाधापी भी वही है
ऐसी ऐसी जगहों पर बिखरी रहती है कि पता भी न चले
लगता है कि कभी भीतर है वो अपने
तब भी कहीं और ही होती है
रात खाने की सब्जियां चुनती
बच्चे को पिकनिक जाने देने के बारे में
पति से करने वाली बात की झिझक में होती है
बिटिया के लिए नई फ्राक की बात उठाने के बाद वाली झिड़की
और उसकी सहम में होती है कभी
पति की उपेक्षा में होती है
सिर्फ लगता है कि भीतर है वो
ज्यादातर तो देह के बाहर ही रहती है वह
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