Wednesday, 18 July 2012

भारतीय ट्रैफिक का आध्यात्म

सीमित प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का महत्व

हमसे बेहतर कौन समझेगा भला

अब देखो

अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल

आधा किलोमीटर का पेट्रोल बचाना

पूरे दस किलोमीटर राज मार्ग पर उलटे चलकर

हुशियारी नहीं तो और क्या है

और फिर क्या उलटा और क्या सीधा

वेदों में तो कहीं लिखा है नहीं

सब माया है भईया

गीता में तो लिखा ही है

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गं .......

बचे रहे तो फिर कभी बचे हुए पेट्रोल का सुख भोगेंगे

मर गए तो स्वर्ग

जहाँ बिना पेट्रोल के उड़ते हैं विमान

चरैवेति चरैवेति

अर्थात वीर तुम बढे चलो

ये सिद्धांत तो हम भूलते ही नहीं सड़क पर

कौन माई का लाल हमें रोक सकता है

ज़रा सी लाल बत्ती की बिसात ही क्या है

और फिर क्या लाल और क्या हरा

नज़र नज़र का फेर है बस

रंगों में भी क्या भेदभाव

सबै रंग गोपाल के

गीता में तो लिखा ही है

नहीं लिखा हो तो लिख लो

वैसे भी सब कुछ तो लिखा हुआ है

अपनी गीता में

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