नंबरों का खेल है राजनीति
अभी दो नंबर की जगह खाली हुई सरकार में
तो सूना खूब कटा जुद्ध मचा है
बहुत बढ़िया है ये दो नंबर की जगह
एक में तो बहुत लफड़ा है
खाना पीना तक मुहाल है
सर्चलाईट डाले ही रहता है ससुर मीडिया
नीचे वाला चाँपे रहता है नंबर दो की
जनम जन्मांतर तक को तर देता है
खेती परधान है अपना देस
सो भईया नंबर दो पे तो हक बनता है
खेती के परधान जी का ही
और फिर वे जमीन से जुड़े आदमी हैं
जमीन का खाते हैं
और जम के खाते हैं
और उनके ज्यादा खाने के चक्कर में
उन ही के यहाँ के एक सज्जन को
बार बार भूखा रहना पड़ता है
वे खुद भी बहुत दिनों तक नहीं खा पाते
और लाखों लोगों को भी नहीं खाने देते हैं
सार्वजनिक रूप से
आखिर बैलेन्स तो करना ही है किसी को
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