बहुत दिनों तक इस देश में
धूर्त और चालक लोग
गाँधी जी की धोती पकड़ कर
चुनाव की वैतरणी पार कर के
सिंहासन पे चढ़ते रहे
आगे चलके किसी समय जब बहुत खींचतान में
गाँधी जी की धोती के चीथड़े हो गए
एक नेता हुए जिनने घोषणा कर दी कि
मैं खुद गाँधी हूँ
हालांकि न वे शादी के पहले गाँधी थे न बाद
फिर वही गाँधी की धोती चुनाव और सिंहासन
अबके गाँधी की धोती भी जरा बड़ी और मजबूत
और फिर जो दौर चला उनके बाद
उन्ही के घर में गांधियों का
सो अब तक चल ही रहा है
तय ये है अब कि
या तो गाँधी खुद ही रहेंगे सिंहासन पे
या फिर गाँधी के दुमछल्ले
वाह री आजादी
वाह रे प्रजातंत्र
वाह रे देश
वाह रे देशवासी
धूर्त और चालक लोग
गाँधी जी की धोती पकड़ कर
चुनाव की वैतरणी पार कर के
सिंहासन पे चढ़ते रहे
आगे चलके किसी समय जब बहुत खींचतान में
गाँधी जी की धोती के चीथड़े हो गए
एक नेता हुए जिनने घोषणा कर दी कि
मैं खुद गाँधी हूँ
हालांकि न वे शादी के पहले गाँधी थे न बाद
फिर वही गाँधी की धोती चुनाव और सिंहासन
अबके गाँधी की धोती भी जरा बड़ी और मजबूत
और फिर जो दौर चला उनके बाद
उन्ही के घर में गांधियों का
सो अब तक चल ही रहा है
तय ये है अब कि
या तो गाँधी खुद ही रहेंगे सिंहासन पे
या फिर गाँधी के दुमछल्ले
वाह री आजादी
वाह रे प्रजातंत्र
वाह रे देश
वाह रे देशवासी
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