Wednesday, 25 July 2012

रायसीना पहाड़ी पर उत्सव


विस्तृत खूबसूरत मैदान

कतारबद्ध खड़े संगीने लिए सिपाही

रक्षकों का जखीरा

मोटरों का आलीशान कारवाँ

चौड़े और स्वच्छ राजमार्ग

विशाल और भव्य इमारतें

विभूतियों से सुसज्जित केन्द्रीय कक्ष

परंपरागत और शालीन समारोह

उत्सुक प्रफुल्लित व्यग्र फुर्तीले लोग

मैंने ज़रा गौर से देखा घोड़ों को

उदासीन अनुत्सुक सुस्त

कह रहे थे कि

चलो एक और कवायद खत्म हुई

एक बोला ये सब तो चलता ही रहता है यहाँ

और बाहर वहाँ भी सब ऐसे ही चलता रहता है

घोड़े घोड़े ही रहते हैं

गधे गधे ही रहते हैं

हाँ सूअर जरूर और मोटे होते जा रहे हैं

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