Thursday, 12 July 2012

गृहणी

खाना ही तो बनाती है

यहाँ वहाँ से कपडे उठा कर रख देती है

दरवाजे की घंटी सबसे पहले वही सुनती है

रात को भी

साफ़ सफाई ज़रा ये ज़रा वो

ये सब भी कोई काम हैं भला

किसी से करवा लो

नौकर चाकर के से काम हैं ये तो

बीमार तो खैर वो पड़ती ही नहीं है

लेकिन जब कभी ज़रा देर को

वो नहीं होती

तो होता कुछ नहीं है घर में

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