सुन्दर रेशमी वस्त्रों आभूषणों से सज्जित
होठों पर बाँसुरी बगल में प्रेमिका
नृत्य की मुद्रा चेहरे पर आनंद
मानो कह रहा है
जियो मौज से मस्ती से भरपूर
घी मक्खन खाओ
न बन पड़े तो चुरा के
प्रेम रास रंग गोपियाँ उपवन
सखा उत्सव नदी पेड़ वन
छेड़छाड़ मनुहार दुलार
दैनिक जीवन का हिस्सा बने
आन्नद में जियो आनन्द बाँटो
सर पे आ पड़े तो लड़ भी लो
न मौका हो अनुकूल तो
रणछोड़ दास जी हो जाओ
पूरा जीवन चरित
चीख चीख के साफ़ साफ़
बता रहा है कि परिपूर्ण जी लो
ऐसा भी क्या डर मौत का
कि जी न सको
ऐसे मस्त मौला मनभावन रसिया
उल्लास की प्रतिमूर्ति के समक्ष
हम खड़े हो जाते हैं
मूढ़ करबद्ध याचक
कांपते पाँव
चेहरे पर घनघोर अवसाद
होठों पर घिघियाहट लिए
क्या ये घोर अपमान नहीं है
परमात्मा का ?
होठों पर बाँसुरी बगल में प्रेमिका
नृत्य की मुद्रा चेहरे पर आनंद
मानो कह रहा है
जियो मौज से मस्ती से भरपूर
घी मक्खन खाओ
न बन पड़े तो चुरा के
प्रेम रास रंग गोपियाँ उपवन
सखा उत्सव नदी पेड़ वन
छेड़छाड़ मनुहार दुलार
दैनिक जीवन का हिस्सा बने
आन्नद में जियो आनन्द बाँटो
सर पे आ पड़े तो लड़ भी लो
न मौका हो अनुकूल तो
रणछोड़ दास जी हो जाओ
पूरा जीवन चरित
चीख चीख के साफ़ साफ़
बता रहा है कि परिपूर्ण जी लो
ऐसा भी क्या डर मौत का
कि जी न सको
ऐसे मस्त मौला मनभावन रसिया
उल्लास की प्रतिमूर्ति के समक्ष
हम खड़े हो जाते हैं
मूढ़ करबद्ध याचक
कांपते पाँव
चेहरे पर घनघोर अवसाद
होठों पर घिघियाहट लिए
क्या ये घोर अपमान नहीं है
परमात्मा का ?
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