Sunday, 5 August 2012

क्रान्ति

अब वक्त आ गया है

बलिदान देने का

उन्होंने ये उद्घोष किया

और आँखे बंद करके

ऊँची कुर्सी का

सपना देखने लगे

अब नहीं तो कब

देश पुकार रहा है जवानों

आवेश में

वे मुट्ठियाँ भींचकर कांपते रहे

और अपने उज्जवल भविष्य की

कामना करने लगे

राम राज्य लाना है

समाज को बढ़ाना है

यही समय है संघर्ष का मित्रों

ऐसा उचारते समय

उन्हें आने वाली

कई पुश्तें तर दिखाई दीं

घोड़े हाथी ऊँट पैदल

शहीद होते रहे

हमेशा की तरह

हर बार

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