तुम कहाँ हो मेरी जान
कि अब तो आ जाओ
बहुत देर हुई
बच्चे बेहाल हैं भूख से
अस्त व्यस्त पड़ा है सब
झगड़ा फसाद थमने का नाम नहीं ले रहे
कोई नहीं है देखने सुनने वाला
जिसको मिलता है जो भाग लेता है लूट के
इधर उधर से भी घुसे चले आते हैं उपद्रवी
अराजकता फैली है जंगल बना है सब
हाहाकार मचा है सब ओर लगी है आग
तुम होतीं
तो कुछ चैन होता शायद
बिना उत्पात के सो पाते सब
पेट में निवाला मुंह पर रौनकें होती
राह राह चलती जिंदगी
भले मानुष जैसे दिखते लोग
कुछ व्यवस्था होती
तब फिर घर घर लगता
कुछ भी चलेगा नहीं ठीक से तुम्हारे बिना
बहुत देर हुई
कि अब तो आ जाओ
तुम कहाँ हो मेरी जान
कि अब तो आ जाओ
बहुत देर हुई
बच्चे बेहाल हैं भूख से
अस्त व्यस्त पड़ा है सब
झगड़ा फसाद थमने का नाम नहीं ले रहे
कोई नहीं है देखने सुनने वाला
जिसको मिलता है जो भाग लेता है लूट के
इधर उधर से भी घुसे चले आते हैं उपद्रवी
अराजकता फैली है जंगल बना है सब
हाहाकार मचा है सब ओर लगी है आग
तुम होतीं
तो कुछ चैन होता शायद
बिना उत्पात के सो पाते सब
पेट में निवाला मुंह पर रौनकें होती
राह राह चलती जिंदगी
भले मानुष जैसे दिखते लोग
कुछ व्यवस्था होती
तब फिर घर घर लगता
कुछ भी चलेगा नहीं ठीक से तुम्हारे बिना
बहुत देर हुई
कि अब तो आ जाओ
तुम कहाँ हो मेरी जान
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