चाँद आज उदास होगा
कोई जो पड़ोस से आया था सुध लेने पहली बार
इतनी मेहनत मशक्कत से
दांव पर लगा कर जिंदगी
देखने करीब से
खुद उसी से पूछने उसका हाल
किसी तकलीफ में तो नहीं है
बेचारा अकेला रहता है
कोई तो नहीं भला मानुस देखभाल करने को
यहाँ पड़ोस में तो खूब चहल पहल है
वहाँ लड़ने झगड़ने तक को भी कोई नहीं
उसकी तारीफ़ में पढ़ी गई कवितायें
उसकी ख़ूबसूरती में बनाए गए चित्र
उसकी फैलती चांदनी में यहाँ नीचे सजी महफ़िलें
सबसे अनजान तनहा वो
खुश हुआ होगा अपने आँचल में उस प्यारे को पाकर
अब जब वो नहीं रहा
चाँद वाकई बहुत उदास होगा आज
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