बाहर ठण्ड है
सोया हूँ देर तक
देर तक सोया रह सकता हूँ
हो रहा है सब कुछ समय पर विधिवत
जैसे बच्चों का स्कूल जाना
उन्हे ले जायेगा मेरे जैसा ही एक इन्सान
जो सोया नहीं है देर तक
बाहर ठण्ड है फ़िर भी
सोया नहीं रह सकता है देर तक
शायद ये इन्सान उस वक्त सोया हो देर तक
जब मै नहीं सोया था
क्या कोई गणित होता है सोने के वक्त का
पता नहीं
लेकिन मुझे ठीक लग रहा है
इस वक्त देर तक सोना
और उसे शायद न ठीक लग रहा हो
Monday 11 January, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment