Monday 18 January, 2010

पानी गये न ऊबरे

मोती मनुष्य चूना
रहीम के अनुसार
बिना पानी हैं बेकार
होता तो है पानी मनुष्य में
कहावत है कि मर जाता है
इन्सान का पानी कभी कभी
मेरी समझ से मर नहीं सकता पानी
रूप बदल लेता है
पानी जब पानी नहीं रहता
तो हो जाता है बर्फ़ या भाप
बर्फ़ यानि ठोस पत्थर भावना शून्य
भाप यानि गुबार धुँआ मलिन द्रष्टि
मेरी एक आँख तुम
जमी हुई पाओगे
दूसरी में गुबार
एक द्रष्टि निर्मोही
दूसरी अस्पष्ट
हर आँख की यही कथा है
या कहें व्यथा है

No comments:

Post a Comment